कुछ प्रश्न ऐसे होते हैं जिनका कोई उत्तर नहीं होता. एक कहावत बोली जाती है -अंडा पहले हुआ या मुर्गी. इस विषय पर तमाम चर्चाएँ हुई है, बहस हुई हैं पर इसका उत्तर कोई नहीं खोज पाया. ये कुछ ऐसे प्रश्न होते हैं जिनका उत्तर खोजना व्यर्थ है क्यूंकी इससे सत्य पर कोई फर्क नहीं पड़ता.जैसे “अंडा पहले हुआ या मुर्गी” इस प्रश्न से इस सत्य पर कोई फर्क नहीं पड़ता की “मुर्गी कटती है और अंडे का आमलेट बनता है”.
आज भी हमे एक प्रश्न और सत्य में से सत्य का चुनाव करना है..प्रश्न है “बाबरी मस्जिद पहले हुई या मंदिर पहले बना” और सत्य है की इस प्रश्न का उत्तर ढूँढने में हम लड़ते हैं, मरते हैं और मारते हैं. हमे इस सत्य को पहचानना होगा.इस सत्य को भी की मंदिर और मस्जिद में हम सर झुकाते हैं, पवित्र होते हैं,पापों के लिए क्षमा मांगते है..न की दूसरों से झगडा करते हैं और खून बहाते हैं.हमे इस सत्य को भी पहचानना होगा की ..धर्म मानवता के लिए बना है हैवानियत के लिए नहीं....इंसानियत के सत्य को हैवानियत के प्रश्न पे विजय पानी होगी
२४ सितम्बर २०१० को अयोध्या विवाद पर कोर्ट का फैसला आने वाला है..जिससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला सत्य पर. इतिहास को सुधारने की कोशिश से बेहतर है भविष्य को बेहतर बनाना
ज़रूरी हस्तक्षेप है दोस्त…यह होश बनाये रखने का समय है…
ReplyDeleteअसीम जी बात आपकी शत प्रतिशत सही है. और आम जनता पे अब इसका असर भी नहीं पड़ता लेकिन क्या नफरत की आग जनता फैलती है? नहीं. नेता फैलाते हैं. और इन नेताओं को कौन समझाए. और यह समझें भी क्यों, कुर्सी का सवाल है बाबा. जनता को जागरूक होना होगा, वोट किसको दें ? यह फैसला करना अगर जनता सीख लें, सभी नफरत की दीवारें गिर जाएं और देश मज़बूत बन जाए.
ReplyDeletebahut khoob aseem ji ... aapne ek bahut hi acche udhaaran ke saath is vishey ko uthaaya hai.. jo log ishwar ya allah ke naam par haiwaniyat par utharte hain wo ye bhool jaate hain ki ek din use hi shakal dikhani hai..
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