भेड़िये रहें जंगलों में ही,
इतना गोश्त और खून मिलता रहे उन्हें कि
आदमखोर न बनने पायें,
और शहरों में शिकार पर न निकलें
वातावरण निर्भय हो !!
नव वर्ष मंगलमय हो!!
प्रेम और करुणा “धर्म ग्रंथों” तक ही न रहें सीमित
वासना और पाशविकता, पशु की ही पहचान रहें
मानव, मानव ही रहे,
नारी को नर का न भय हो,
नव वर्ष मंगलमय हो!!
इतना गोश्त और खून मिलता रहे उन्हें कि
आदमखोर न बनने पायें,
और शहरों में शिकार पर न निकलें
वातावरण निर्भय हो !!
नव वर्ष मंगलमय हो!!
प्रेम और करुणा “धर्म ग्रंथों” तक ही न रहें सीमित
वासना और पाशविकता, पशु की ही पहचान रहें
मानव, मानव ही रहे,
नारी को नर का न भय हो,
नव वर्ष मंगलमय हो!!