Monday, December 31, 2012

नव वर्ष मंगलमय हो !!

भेड़िये रहें जंगलों में ही,


इतना गोश्त और खून मिलता रहे उन्हें कि

आदमखोर न बनने पायें,

और शहरों में शिकार पर न निकलें

वातावरण निर्भय हो !!

नव वर्ष मंगलमय हो!!

प्रेम और करुणा “धर्म ग्रंथों” तक ही न रहें सीमित

वासना और पाशविकता, पशु की ही पहचान रहें

मानव, मानव ही रहे,

नारी को नर का न भय हो,

नव वर्ष मंगलमय हो!!

Sunday, May 6, 2012

उसे ख़ुदकुशी करना नहीं आता था!

सुबकती हुई सुबह, देहरी पर जा बैठी एक चिड़िया सूख चुके थे, उसके आंसू लुट चुका था, उसका घोंसला उसके नन्हे अंश हो चुके थे अब गिद्धों के हवाले! उड़ना पड़ा उसे, उसे ख़ुदकुशी करना नहीं आता था !