Monday, November 28, 2011

कुछ लिखना चाह रहा हूँ

कुछ लिखना चाह रहा हूँ
पर न जाने क्यूँ, विचार आकार नहीं ले रहे.
कभी अन्ना याद आ जाते हैं, कभी केजरीवाल और किरणबेदी
कभी दिग्विजय, कभी अग्निवेश और रामदेव
कभी अडवाणी की रथ यात्रा, मोदी और नितीश
कभी राहुल और कभी मायावती, मानसपटल पर कौंधते हैं.
कुछ लिखना चाह रहा हूँ
पर न जाने क्यूँ, विचार आकार नहीं ले रहे...