Thursday, September 16, 2010

जो निकल गया वो शेर है....


जो थम गया वो अश्क है,

जो बरस गया वो पानी है.

जो गरज गया वो बादल है,

जो छंट गया वो गफलत है.

जो दिख गयी वो मुस्कान है,

जो छिप गया वो जज़्बात है.

जो सोच लिया वो हरफ है,

जो मह्सूस किया वो धडकन है,

जो दब गयी वो बेचैनी है,


जो निकल गया वो शेर है.

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