Monday, December 6, 2010

कंप्यूटर






















इकीसवीं सदी.

बीस-पच्चीस साल का युवक.

आँखों में आंसू,

चेहरे पर तनाव, दिल में कुछ अनकहे जज़्बात.

उसकी उँगलियों का दबाव कंप्यूटर स्क्रीन पर ,

एक-से हरफों में एक एक कर उभर रहा है.

वो दिल की धडकन कंप्यूटर पर ‘टाइप’ करने की कोशिश कर रहा है,

और तार के ज़रिये दूसरे कंप्यूटर स्क्रीन तक पहुँचाना चाह रहा है.

उन काले, रेगुलर, टाईम्स न्यू रोमन, १० फाँट के शब्दों में संजीदगी डाल रहा है.

उम्मीद है उसे की उसके ख़याल, उसके जज़्बात, उसकी महक और उसकी सांस भी

शायद पहुँच रही दूर कहीं, दूसरी स्क्रीन पर, ‘एक अजनबी, अनदेखे’ चेहरे तक.


वो आस्तिक है.

उसे अनदेखे, अनजाने भगवान में यकीन है,

उसे उसका भगवान एक दिन मिलेगा?

शायद वो कंप्यूटर स्क्रीन से ही निकल आये,

आखिर भगवान तो हर जगह व्याप्त है.!

3 comments:

  1. ईश्वर को खोजने का आपने नायाब तरीका बता दिया..सुन्दर प्रस्तुति...

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  2. धन्यवाद अलोक जी और निहारिका

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