फिर आ गया एक नया साल,
पिछले तमाम सालों की तरह,
अपनी वही ‘पुरानी जिंदगी’ बिताने के लिए
हम सबका रचा, एक ‘नया साल’
नई खोजों, नए प्रयासों का साल,
नए तरीके से पैसा कमाने का साल,
झूठ बोलने का, पाप करने का साल,
नौकरी, शादी, तलाक का साल,
बच्चे पैदा करने का साल,
जीने का साल,
मरने का साल,
फिर से खुद को भूल जाने का साल,
नया साल,
फिर चलेगा, पुरानी घटनाओं पर,
समीक्षाओ और चर्चाओं का दौर,
फिर हम अपनी उपलब्धियां गिनाएंगे,
दोषों और कमियों को बिसरायेंगे ,
गुजरे साले ने हमें कैसे गुजारा,
एक दुसरे को सुनायेंगे,
नए साल पर नए वादे करेंगे,
कुछ दिनों के लिए फिर कसमें खायेंगे,
पिछली बातों को,
पुराने वादों और पुरानी कसमों को,
सच को,
एक बार फिर से भूल जायेंगे,
नए सिरे से फिर वही सब दुहराएंगे,
और अगले साल,
फिर ‘एक नया’ साल मनाएंगे.
साल दर साल यही होता है ...नया साल कुछ नया नहीं लाता
ReplyDeleteनव वर्ष मंगलमय हो... कविता अच्छी लगी...
ReplyDeleteफिर एक नया साल मनाएंगे ...
ReplyDeleteइसी तरह मनता और बिछड़ता रहा है हर साल नया साल !