Sunday, August 15, 2010
स्वतंत्र है?
स्वतंत्र है?
दबा कर्ज के बोझ से,
महंगाई के प्रकोप से,
भूमंडलीकरण और उदारीकरण के सहयोग से,
विकास के सुयोग से,
एक किसान अपनी झोपड़ी में?
स्वतंत्र है?
शिक्षा के अधिकार की आस में,
अपना पेट स्वयं भरने के प्रयास में,
कुपोषण, गरीबी, लाचारी और
अपने छह भाई बहनों के बीच एक बच्चा?
स्वतंत्र है?
एक डिग्री और एक डिप्लोमा लिए,
लगाता चक्कर सड़कों पर,
व्यथित, एक नौकरी की तलाश में,
छुपाये आँखों में दुःख, लाचारी और आक्रोश
करोड़ों अपने जैसों की भीड़ में एक नौजवान?
स्वतंत्र है?
घर की चारदीवारी में सीमित,
चौका बेलन और बच्चों के बीच,
अपने विवाह के दाम को प्रति पल चुकाती,
पति, सास, ससुर की आकांक्षाओं के तराजू पर तुलती,
अपनी महत्वाकांक्षा के सपने को भूलती,
अपनी पहचान तलाशती एक विवाहित महिला?
स्वतंत्र है?
दो भिन्न जातियों से जनित,
प्रेम करने की भूल कर बैठे,
अपने ही परिवार, गाँव जवार के दुश्मन,
बाप, भाई के निशाने पर,
मरने को तैयार एक नौजवान युवक-युवती?
स्वतंत्र है?
१२० करोड की भीड़ में,
६ धर्मों, १६१ भाषाओँ और ६४०० जातियों में,
भ्रष्टाचार, कट्टरवाद, धर्मवाद और आतंकवाद से जूझता,
सैकड़ों पार्टियों और चंद नेताओं के आश्वासनों को परखता,
कश्मीर, नक्सलवाद, जातिवाद के प्रश्नों बीच,
आशा की किरण को तलाशता,
एक भारतीय...
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