Thursday, May 20, 2010

बीता हुआ ज़माना





याद आता है वो बीता हुआ ज़माना,
बिना बात के हँसना और बिना बात के रोना!
रूठना और झट से मान जाना.

पर आज ! रोने और हँसने के वजहें ढूंढता हूँ,
और ख़ुद को नही पता किससे और किस बात पे रूठता हूँ.

2 comments:

  1. मुझे आपका ब्लोग बहुत अच्छा लगा ! आप बहुत ही सुन्दर लिखते है ! मेरे ब्लोग मे आपका स्वागत है !

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  2. शुक्रिया भास्कर जी..मैं आज आपका ब्लॉग देखूँगा

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