समाधान..
समाधान की तलाश का सफर
Wednesday, June 9, 2010
कविता
एक 'कविता' के सृजन पर पर कुछ पंक्तियाँ....
जब सृजनात्मकता 'दिल' से फूट कर 'दिमाग' तक पहुँचती है,
जब उसे व्यक्त करने के लिए एक 'बेचैनी' सी पनपती है,
जब मन की कल्पना लेने लगती है शब्दों का आकार,
तब मेरे दोस्त, होता है एक "कविता" का साक्षात्कार!
3 comments:
परमजीत सिहँ बाली
June 9, 2010 at 2:52 AM
बढिया!!
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Shekhar Kumawat
June 9, 2010 at 4:45 AM
bahut hi sunder hai.....
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आलोक श्रीवास्तव
June 20, 2010 at 10:17 AM
गागर में सागर...अच्छा परिभाषित किया हैं.
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बढिया!!
ReplyDeletebahut hi sunder hai.....
ReplyDeleteगागर में सागर...अच्छा परिभाषित किया हैं.
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