Thursday, May 20, 2010

याद आता है.....


कुछ धुंधली सी यादों मे,
अक्सर तुम्हारा ख़याल आता है.
कहीं कोई छूटा हुआ,
अनज़ाना सा दयार याद आता है.
उन छोटी छोटी बातों का,
उन अकस्मात मुलाक़ातों का,
उन अनकहे जज़्बातों का,
उस इंतज़ार, उस उम्मीद,
उन कुछ नवीन प्रयासों का.
प्रायः  मन की किताब के अधखुले किसी पन्ने पर
'आलिखित' वो विचार याद आता है.
इस संबंध को क्या नाम दूं मैं,
बस तेरा 'इंतज़ार' याद आता है.


3 comments:

  1. ऐसी कवितायें रोज रोज पढने को नहीं मिलती...इतनी भावपूर्ण कवितायें लिखने के लिए आप को बधाई...शब्द शब्द दिल में उतर गयी.

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  2. बहुत बहुत धन्यवाद भास्कर जी..पार शायद मेरी रचनाएँ इतनी अच्छी भी नहीं है..की उनकी इतनी तारीफ़ की जाए

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