समाधान..
समाधान की तलाश का सफर
Sunday, May 16, 2010
“सपने में मौत”
कल मैंने एक सपना देखा,
सपने में कोई अपना देखा,
उस अपने का तडपना देखा,
तड़प तड़प के मरना देखा.
ए के ४७ और ग्रेनेड देखे,
उनको चलाने वाले चेहरे देखे,
हर चेहरा था बिलकुल एक सा....
पर नाम थे अलग अलग
अल्लाह, गाड और भगवान.
और मरने वाला था
“इंसान”.
1 comment:
संजय भास्कर
June 5, 2010 at 9:49 PM
sapne bhi sach hote hai kabhi kabhi.......
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