हरे पत्तों पर ठंडी ओस की बूँद,
चिड़ियों की चहचाहट की गूँज,
और ठंडी ठंडी धीमी बयार,
हमसे कुछ कहते हैं यार,
ये एक नई सुबह है!
दादा जी का मॉर्निग वाक, अपनी पोती के साथ,
उस घर से आती छोटे बच्चे की आवाज़,
अँधेरे को चीरता ये उजास,
कराता है हमे ये एहसास,
ये एक नई सुबह है!
आँखों में कुछ सपनों की आस,
आलस्य को हराता नव-उल्लास,
हर पल बढ़ता ये प्रकाश,
मन को दिलाता यह विश्वास,
ये एक नई सुबह है!
बहुत अच्छा !
ReplyDeleteaalsya ko harata nav ullas , achha laga shubhkamnaye
ReplyDeleteकुछ शीतल सी ताजगी का अहसास करा गई आपकी रचना।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.............मन को छू गई............
ReplyDeleteधन्यवाद अशोक जी, सुनील जी और संजय जी ..उत्साहवर्धन के लिए
ReplyDeleteबहुत अच्छी उजास सी फैलाती नयी सुबह ...अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteek thanda ahsaas dene ka safal prayaas.. bhaut khub..
ReplyDeletesunder rachna ... har nai subha ke liye shubhkaamnaien
ReplyDeleteथैंक्स क्षितिजा
ReplyDeleteधन्यवाद अलोक जी और वंदना जी
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