Friday, October 29, 2010

ये एक नई सुबह है















हरे पत्तों पर ठंडी ओस की बूँद,

चिड़ियों की चहचाहट की गूँज,

और ठंडी ठंडी धीमी बयार,

हमसे कुछ कहते हैं यार,

ये एक नई सुबह है!


दादा जी का मॉर्निग वाक, अपनी पोती के साथ,

उस घर से आती छोटे बच्चे की आवाज़,

अँधेरे को चीरता ये उजास,

कराता है हमे ये एहसास,

ये एक नई सुबह है!


आँखों में कुछ सपनों की आस,

आलस्य को हराता नव-उल्लास,

हर पल बढ़ता ये प्रकाश,

मन को दिलाता यह विश्वास,

ये एक नई सुबह है!

10 comments:

  1. aalsya ko harata nav ullas , achha laga shubhkamnaye

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  2. कुछ शीतल सी ताजगी का अहसास करा गई आपकी रचना।

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  3. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.............मन को छू गई............

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  4. धन्यवाद अशोक जी, सुनील जी और संजय जी ..उत्साहवर्धन के लिए

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  5. बहुत अच्छी उजास सी फैलाती नयी सुबह ...अच्छी प्रस्तुति

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  6. sunder rachna ... har nai subha ke liye shubhkaamnaien

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  7. थैंक्स क्षितिजा

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  8. धन्यवाद अलोक जी और वंदना जी

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