समाधान..
समाधान की तलाश का सफर
Sunday, May 6, 2012
उसे ख़ुदकुशी करना नहीं आता था!
सुबकती हुई सुबह, देहरी पर जा बैठी एक चिड़िया सूख चुके थे, उसके आंसू लुट चुका था, उसका घोंसला उसके नन्हे अंश हो चुके थे अब गिद्धों के हवाले! उड़ना पड़ा उसे, उसे ख़ुदकुशी करना नहीं आता था !
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